दोहे

आओ हे जग मात अब,संकट भये अपार। फँसी नाव मझधार है,आकुल है संसार।। रक्षा करिए मात अब, होता हाहाकार। फैला भीषण ताप है,करो कष्ट संहार। निशी पर्व आया नवल,भरिए आस उजास। चैत्र पावनी प्रतिपदा,दुख संकट हो नाश।। बन कर चंडी कालिका,आओ माँ संसार । रक्त बीज है नाचता,खप्पर धरो सँवार।। नजर बंद सब हो गये,करते…

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