अन्तरा के बारे मे जितना कहूँ सब कम होगा
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अन्तराशब्द शक्ति के बारे मे क्या कहुँ ये तो सूरज को रोशनी दिखाने जैसा होगा…….
मुझे हमेशा से लिखने का शौक था… पर वो पेपर और डायरी तक ही सीमित थे।हमेशा सोचती मुझे कोई लिखने को कहे तो मै बहुत कुछ लिख सकती हूँ,पर कैसे…..एक दिन प्रीति जी से फोन पर बात हुई और मै अन्तरा की सदस्य बन गयी। अपने सपने साकार करने का मौका मिल गया या यूँ कहें कि मेरे सपनों को पंख लग गये और मै कामयाबी की ओर उडान भरने लगी। 5/1/19 को दिल्ली में इतने बडे बडे साहित्यकारों के हाथों सम्मानित होना और विश्व हिन्दी पुस्तक मेले मे अन्तरा का सटाँल लगना और मेरी पुस्तक अश्रु बिन्दु का सम्मानित हो जाना मेरे लिये बहुत ही गौरव की बात थी।अन्तरा शब्द शक्ति सम्मान एवं ‘”कलमकार ‘”का सम्मान मिलना …..मेरी जिंदगी के अनमोल पल और यादगार पल हैं और रहेंगे।आज तक मुझे दो माह के अन्दर 17 बार सम्मान मिले ,जो मुझे मेरी मजिल के करीब ले जा रहा है और मेरा सपना साकार होते हुऐ दिखाई दे रहा है। मै हमेशा चाहती थी कि मेरी एक पहचान बने ,ये सब अन्तरा का प्यार और प्रीति जी की मेहनत का ही फल है, जो कि हम जैसे नवांकुर को इतना कुछ दिया।
प्रीति जी हमेशा कुछ न कुछ नया सरप्राइज देकर हम लोगों को खुश कर देतीं है ।बहत ही साफ दिल की नेक इंसान हैं।भगवान उन्हें सदा खुश रखे।
मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि अन्तरा नित्य नये आयाम छुए और एक दिन गिनीज़ बुक आँफ वर्ल्ड रिकार्ड मेअन्तरा का नाम दर्ज हो । एक बार पुनः प्रीति जी और उनके सहयोगियों को कोटिशः धन्यवाद।
अर्चना कटारे
शहडोल( म.प्र)
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