अंतरा शब्दशक्ति अपना सा
अंतरा शब्द्शक्ति से मुझे जुड़े हुए लगभग एक वर्ष हुए हैं ,एैसा लगता है बहुत समय से जानती हूँ। डॉ. प्रीति सुराना जी का प्रोत्साहन, सोच, और उपलब्धता हर समय मेरी हिम्मत बढ़ाता है। सोलह और बत्तीस पेज की किताबें सभी रचनाकारों को एक अलग पहचान देती हैं, साथ ही नये रचनाकारों को अवसर प्रदान करती है । नित नये सुझाव, हिन्दी भाषा को आगे बढा़ने के लिए, हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए अथक प्रयास, इसके लिए हर चार माह में एक आयोजन, इसमें रचनाकारों को सम्मान देना, नए हो या पुराने रचनाकार सबको साथ लेकर चलना, हर छोटी बड़ी जानकारी रचनाकारों को देना, लेखन की हर विधा पर रचनाकारों को भी लिखने के लिए प्रोत्सहित करना यह अंतरा शब्दशक्ति की ही ताकत है।
एक पहचान मिली हर रचनाकार को। इतनी ईमानदारी से अपने काम के प्रति निष्ठावान होना समूह के हर रचनाकार के दिल में जगह बना लेना निश्चित तौर पर यह सराहनीय है।
अंतरा शब्दशक्ति एक परिवार है। हमारे भारतीय परंपराओं, रीति रिवाज, सांस्कृतिक मूल्यों को संजोये रखने साथ ही अपने विचारों को समाज के समाने रखने और समाज को नई सोच के साथ अपनी लेखनी के माध्यम से नई दिशा व गति प्रदान करती है।
इतनी सरलता, तरलता और समझ रखना अंतरा शब्दशक्ति की सबसे बड़ी उपलब्धि है, इसी कारण से अधिक से अधिक रचनाकार इससे जुड़ना चाहते हैं। इस मंच से जुड़कर सभी रचनाकारों का व्यक्तिगत अनुभव काफी अच्छा रहा है जो हम समय-समय पर होने वाले कार्यक्रमों में एक दूसरे को बताते हैं और साझा करते हैं। अंतरा शब्दशक्ति का कार्य हिंदी भाषा के क्षेत्र में सदा अग्रणी रहे। भविष्य की इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।
आरती तिवारी ‘सनत’