अन्तरा शब्दशक्ति और मेरा अनुभव
क्या आपने कभी भीषण तपती दोपहरी में चलते चलते अचानक एक घना फलदार वृक्ष मिलने की ख़ुशी और तृप्ति अनुभव की है?
कंक्रीट के जंगलों जैसे महानगरों की तन और मन को जला दे, ऐसी भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में लेखन मेरे लिए घनी छाया समान है और वह वृक्ष है अन्तरा शब्दशक्ति की संस्थापक डॉ. प्रीति सुराना जी, जिन्होंने न केवल ये छाया दी बल्कि ऐसा मीठा रसदार फल भी दिया जो मेरे लिए अमूल्य है- मेरा प्रथम एकल काव्य संग्रह “मामूली से जज़्बात”।
उसपर भी सोने पे सुहागा था मुझ जैसे अनेक नवांकुरों तथा प्रतिष्ठित रचनाकारों के संग्रहों का “विश्व पुस्तक मेला २०१९” में विमोचित होना व स्टाल पर रखे जाना। यह सचमुच एक सपना साकार होने जैसा है जिसके लिए मैं अंतरा परिवार की सदैव ऋणी रहूंगी। अंतरा शब्दशक्ति एक प्रकाशन गृह नहीं बल्कि एक संयुक्त परिवार है जहाँ विभिन्न प्रकृति और कलेवर के रचनाकार अपनी अपनी विधा को निखारते हुए व अन्य साथियों का प्रोत्साहन करते हुए अनवरत अपनी साहित्य यात्रा में आगे बढ़ते हैं।
मुझे विश्वास है कि हिंदी के प्रति अंतरा परिवार का प्रेम और समर्पण से अनेकोंअनेक छुपे हुए प्रतिभावान रचनाकार भी इस परिवार का हिस्सा बनेंगे और हिंदी सेवा करते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाएँगे ।
कृति गुप्ता
दिल्ली