अन्तरा शब्दशक्ति और मेरे अनुभव
अंतरा शब्दशक्ति एक साहित्यिक परिवार है, जिसमें स्थापित रचनाकारों के साथ नवोदितों के लिए साहित्य सृजन के नित नए द्वार खुल रहे है, नवोदितों को प्रोत्साहित करने के साथ साथ उनमें सृजन की बारीकियों से रूबरू करवाना, नित नए साहित्यिक प्रयोग, जैसे कहानी, संस्मरण, गद्य, शब्द युग्म, गीत ग़ज़ल,कविताएं आदि कई रोचक गतिविधियों के माध्यम से यह लगभग 170 मित्रों का व्हाट्सएप समूह और करीब करीब 18 हजार मित्रों के फेसबुक समूह के द्वारा हिन्दी साहित्य को अतुलनीय योगदान देने का एक सफल अनुष्ठान है…!
जब मैं सौभाग्य से अंतरा शब्दशक्ति के गरिमामयी साहित्यिक समूह से जुड़ा, तब तक मैनें कोई सृजन नही किया था, काव्य मंचों के प्रसिद्ध कवियों और कवयित्रियों की प्रतिनिधि रचनाओं के माध्यम से अपना साहित्यिक आनंद लेता था, कभी सोचा भी नही था कि मेरी कलम से कोई सृजन भी हो पायेगा, लेकिन अंतरा परिवार से जुड़ने के बाद जब स्वरचना नही होने से असहजता महसूस हुई, समूह की संस्थापक डॉ. प्रीति जी सुराना से समूह से पृथक होने की अनुमति जब चाही तो उन्होंने कहा कि भैया आप लिखना शुरू तो करो, भले ही चार पंक्तियां लिखो, पर स्वयं लिखो, आत्मिक सुख मिलेगा, माँ शारदा की कृपा से हाइकु, तांका, मुक्तक आदि लिखने का प्रयास किया, कुछ कहानियां, संस्मरण और गद्य लिखे, अंतरा के स्थापित रचनाकारों ने उत्साह वर्धन तो किया ही साथ में सृजन की त्रुटियों को भी सुधारा, देखते ही देखते सृजन में रुचि बढ़ी और अंतरा प्रकाशन का वार्षिक समारोह इंदौर में आयोजित हुआ..
जिसमें विचार मंथन और स्पंदन नामक साझा संकलन में जब मेरी लिखी रचनाएँ प्रकाशित हुई, 3 फरवरी 2017 मेरे साहित्यिक जीवन का स्वर्णिम दिवस सिद्ध हुआ, जब मुझे अंतरा शब्दशक्ति सम्मान से नवाजा गया, यह सम्मान मेरे जीवन का पहला सम्मान था, दूसरा सम्मान भोपाल में आयोजित सृजक सृजन समीक्षा के प्रकाशन के विमोचन पर प्राप्त हुआ…
अंतरा समूह की विशेषता है कि पूरा समूह अनुशासित, व्यवस्थित और पारिवारिक वातावरण में संचालित होता है…
सच कहूं तो अंतरा शब्दशक्ति समूह मेरे लिए गुरुकुल जैसा हो गया…
मैं इसके उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करता हूँ, ताकि मेरे जैसे नवोदितों को साहित्य सृजन का अवसर तो मिलेगा ही, उनके द्वारा रचित साहित्य विभिन्न तकनीकी माध्यमों से विश्व हिन्दी साहित्य से भी जुड़ सकता है…
धन्यवाद अंतरा परिवार…!
कैलाश बिहारी सिंघल
धमनोद (म.प्र.)