अंतरा शब्द शक्ति और मेरा अनुभव
सादर नमन
एक सपना सा लगता है… कभी सोचा नहीं था की ये मुक़ाम भी मेरी ज़िंदगी में आएगा।
कुछ हुनर होते है हम सब में, पर हम बेख़बर होते है। कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ।
शायद हम सब में कुछ ऐसे अनकहे शब्द होते है जो बस दबे रहते है… हर कोई अपने अनकहे शब्दों को आवाज़ नहीं दे पाता’।
पर शायद मुझमें ये हुनर था कि अपने लफ़्जों को पिरो सकूं। आत्मविश्वाश की कमी थी पर अल्फाजों की नहीं।
हमनें लिखना शुरू किया और कुछ मंच से भी जुड़े। उनमे से एक मंच था अंतरा शब्दशक्ति! इस मंच पर हमारी क़लम को और निखारा गया! हमें सराहा गया। जिससे हमें छोटी सी उड़ान मिली। एक विश्वास सा जगा एक आत्मनिर्भरता का एहसास हुआ।
हम जब से इस मंच से जुड़े है… तब से अब तक हमनें सिर्फ़ सीखा है।
और आदरणीय प्रीति सुराना ज़ी के संघर्ष की जीवनी को पढ़ कर हमें उनसे प्रेरणा मिली। और मेरे मन में उनके प्रति आदर के भाव उत्पन हुए। नमन करती हूँ मैं उनको। अंतरा शब्द शक्ति एक ऐसा मंच है जो हम जैसे नए कवियों को ऊपर उठने को प्रेरित करता है।
इस मंच से जुड़ कर असीम ख़ुशी हुई है मुझे। आभारी हूँ अंतरा शब्द शक्ति मंच की।
धन्यवाद
डेज़ी जुनेजा