अंतरा शब्द शक्ति और मैं
लगभग पिछले तीन वर्षों पूर्व ‘अंतरा शब्द शक्ति’ समूह से मुझे ने आदरणीय मनोज जी ने जोड़ा।आरंभ में तो समूह में इतने सारे लोगों के बीच मुझे ऐसा लगा की किसी को कोई पढ़ता नहीं है, सब अपनी रचनाएं प्रस्तुत करते हैं।
लेकिन जैसे-जैसे मैं इससे परिचित होती गई लगा यह मात्र एक समूह नहीं है वरन समस्त रचनाकारों के लिए एक ऐसा मंच है जिसमें वह घर बैठे ही वह सब कुछ पा सकते हैं जो उन्हें चाहिए।
आदरणीय प्रीति जी का विनम्र अनुशासन और ‘आज के विषय’ का नियमित पटल पर डाला जाना एक बहुत ही प्रेरणादायक प्रयास है।विभिन्न विषयों पर सुंदर रचनाएँ लिखने के साथ- साथ पढ़ने का भी अनुभव यहां प्राप्त होता है।
अंतरा शब्द शक्ति की रचनाएं केवल पटल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ‘लोकजंग’ में प्रकाशित हो कर रचनाकार प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
जहां एक और उनकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं वहीं कई रचनाकारों ने अपने काव्य संग्रह तैयार कर लिए हैं।
एक ही मंच पर 65 से 90 किताबों का लोकार्पण और हर वर्ष अंतरा शब्द शक्ति सम्मान समारोह का आयोजन किसी भी आश्चर्य से कम नहीं। क्योंकि व्हाट्सएप पर इतने समूह चल रहे हैं लेकिन यह पहला समूह है जो कि रचनाकारों के लिए इतना इतनी मेहनत और लगन से कार्य करता है। इसका उद्देश्य केवल पटल पर रचना आमंत्रित करना नहीं है।
‘हिंदी मातृभाषा विकास’अंतरा समूह का स्तुत्य प्रयास है।
प्रकाशन के साथ-साथआदि कई तरह की उपलब्धियों को हासिल कर ये समूह नित नए इतिहास रच रहा है।
अंतर अंतरा शब्द अब मात्र व्हाट्सएप ग्रुप न रहकर बहुआयामी लक्ष्य को हासिल करने वाला साधन बन गया है।
प्रीति सुराना जी, अविचल जी, पिंकी जी, हेमंत जी, कैलाश जी के साथ-साथ अंतराशब्द शक्ति पटल के सभी रचनाकार इस हेतु धन्यवाद के पात्र हैं।
यह पटल अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करें।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ….!
डॉ वर्षा चौबे
भोपाल।