अन्तरा शब्दशक्ति और मेरे अनुभव
किसी ने ठीक ही कहा है – लेखक एवं कवि को बनाया नहीं जा सकता, किसी प्रयोगशाला में सृजित नहीं किया जा सकता । लेखक, जन्मजात होता है अंतर्मन के भावों को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्ति देकर समाज में वो अपना अमूल्य योगदान दे सकता है । मेरी साधारण सी लेखनी को सशक्त एवं उचित दिशा देने का श्रेय, अंतरा शब्द शक्ति प्रकाशन को जाता है । अंतरा शब्द शक्ति की संपोषक डॉ प्रीति सुराना जी के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि वर्तमान में अंतरा शब्द शक्ति प्रकाशन, साहित्य और पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में एक नक्षत्र की भांति दैदीप्यमान है । वारासिवनी जैसे क्षैत्र से दिल्ली पुस्तक मेले तक की यात्रा, उनके जीवन की अनुपम उपलब्धि है । मेरे साहित्यिक सृजन को नवप्राण देने का अभूतपूर्व कार्य, अंतरा शब्द शक्ति प्रकाशन ने किया है । मेरे चार काव्य संग्रह
#संकल्पना,#आग़ोश ,#अदीब ,#परस्तिश , अंतरा शब्द शक्ति की बगिया के ही महकते पुष्प हैं । अंतरा शब्द शक्ति गौरव सम्मान, मातृभाषा उन्नयन सम्मान जैसे गरिमामय अलंकरण से हम जैसे नवांकुरों को विभूषित कर हमारा मान बढ़ाने के लिए अंतरा शब्द शक्ति प्रकाशन और प्रीति दीदी को साधुवाद ।।
हमारी ग़ज़लें, नज़्में भी लोकजंग में अंतरा शब्द शक्ति के साहित्य स्तंभ में समय समय पर प्रकाशित होती है ।
अंततः यही कहूंगा कि साहित्य के उपवन में नव पुष्पों को पल्लवित करने की जो जिम्मेदारी दीदी ने उठाई है,वह सराहनीय है ।
निशब्द है,नमन करते हैं आपकी जीवटता को ।
मेरी भविष्य में भी कुछ और साहित्यिक कृतियां, अंतरा के माध्यम से ही समाज और साहित्य को सुरभित करेंगी,यह अभिलाषा है ।
अंतरा शब्द शक्ति प्रकाशन, प्रगति के नित नवीन सोपान तय करे,यही स्वस्तिकामनाएं ।
शुभेच्छु
डॉ वासिफ क़ाज़ी इंदौर