अन्तरा शब्द शक्ति सम्मान और यादें
अंतरा शब्द शक्ति सम्मान सन् २०१८ तारीख की घोषणा जैसे ही सर्वविदित हुई मन मयूर नाच उठा कि चलो लंबे समय की घडियाँ गिनती में परिवर्तित हो चुकी है। मैं भोपाल में आयोजित “अन्तरा शब्द शक्ति सम्मान” 2017 की यादें कभी भी नहीं भूल सकती। उन यादों में मीठी यादें और जुड़ेंगी, सोच-सोच बहुत उत्साहित हो रही थी।
वर्ष २०१७ में मेरी शल्यक्रिया होने से बात करने में सक्षम न थी पर इस बार सोचा सब से बहुत बहुत बातें करूंगी। ३ फरवरी को ठीक १०:३० बजे पतिदेवजी एवं जीजाजी (अब वे दोनों भी नहीं रहें, मुझे इस बात का संतोष रहेगा कि मैं उन्हें एक बहुत अच्छे कार्यक्रम में शामिल कर पायी) के साथ साऊथ एवेन्यू, इन्दौर आई। चिरंजीव तन्मय अगवानी कर नीचे बडे़ कक्ष में लेकर आ गये। मैं मना करती रही पर तन्मय तन्मयता से आतिथ्य सत्कार में लगे रहे। अगवानी से जहाँ मन खुश हुआ वहीं टीस भी उठी कि यह काम हमें करना था कर रहे थे तन्मयजी।
बड़े कक्ष में आदरणीया किर्तीजी वर्मा ने मुस्कुराते हुए गले मिलकर स्वागत किया।आदरणीय समकितजी ने मुस्कुरा कर अभिवादन। आदरणीया प्रीतिदी खुद आकर गले मिली। मैं कुछ कहूँ खुद ही प्रेम पूर्वक मधुर स्वर में बोल पड़ी-“देवयानी,आपकी तबीयत कैसी है? आप तो जेठानीजी के यहाँ रुकी हो न ! मैं रोमांचित हाँँ हाँँ कर अंदर से उनकी याददाश्त को दाद दे रही थीं।
सुन्दर मंच । सकून भरा माहौल। सबसे मिलने की चाहत….. एक दूसरे को पहचानने की कोशिश ……जी भरकर मिलना…आंखों आंखों में मिलन की खुशी…. ढ़ेर सारी बातें करना…. सब कुछ अच्छा लग रहा था। जिनसे मुझे मिलने की तीव्र चाहत थी, वो थी “आदरणीय राधा दीदीजी” उनकी आत्मीयता को नमन। उनका पूरा समय का साथ अच्छा लगा उन्होंने घर परिवार संबंधी बातें करके अपनापन जागृत किया। लगा सच हम अपने परिवार में है जिनसे मुझे असीम प्यार मिल रहा है।
आदरणीया रमाजी टेकाम,आदरणीया नमीता दुबेजी, वे सभी बहनें जो मुझे प्रथम अन्तरा शब्द शक्ति सम्मान २०१७ में मिली थी ने मेरी स्वथ्यता पूछी आदरणीय चांडक जी द्वारा उनके परिवार दायित्व को जाना कि वह नौ बहनों के इकलौते भाई है। धंधे के साथ चित्रकारी, सज्जाकार, साहित्यकार लगा वे वास्तव में माँ सरस्वतीजी के पुत्र हैं।
अतिथि आगमन,मां सरस्वती का पूजन,आ.किर्तीजी द्वारा कोकिल कंठी वंदन, भाषा माता के चित्र का अनावरण। भाषा माता की आदरणीय प्रीतिदी सुराना द्वारा लिखित स्तुति गान। आ.अर्पणजी द्वारा स्वागत भाषण पश्चचात् वैदिक जी द्वारा प्रभावी उद्बबोधन-“हमें अपने विचारों को विराटता प्रदान कर अन्य भाषाओं को भी जानकर उनके पहलूओं को आत्मसात करना चाहिए।” पतंजलि योग प्रचारक प्रमुख आचार्य आदरणीय वाजपेई जी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का आह्वान किया। सभी साहित्यकार सम्मान की श्रृंखला में मंच पर पहुंच कर अभिभूत हो रहे थे। सम्मान प्राप्त कवि -कवयित्रीयों के चेहरे खुशी के साथ में भी पढ़ने में आसानी से आ रहे थे कि वह इस मुकाम पर अपनी जवाबदारियों के रहते हुए भी कितने संघर्ष पश्चात भाषा साहित्य के सेतु बन रहे हैं।
मेरा नाम पुकारा गया। मुझे मेरा शब्द शक्ति सम्मान सन् २०१७ गांधी हाल भोपाल का मंच याद आ गया। जिस तक मैं जा नहीं पा रही थी। आदरणीय मनोज जी श्रीवास्तव जी समेत सभी अतिथिगण नीचे उतर आए थे मुझे सम्मान देने। आदरणीय प्रीतिजी को भी वही दृश्य शत-प्रतिशत याद आ रहा था वह मुझे आज मंच पर से सम्मान लेने पर बधाई एवं खुशी जाहिर कर रही थी। भाषा भारती सम्मान कि मुझे दिली खुशी हो रही थी कि मैं इस योग्य बनी कि मैं भाषा की सारथी हमेशा के लिए बन गयी। मेरे दायित्व अब बढ़ गए हैं।
संचालन कर्ता राशि पटेरिया जी का अपनों के बीच अपना संचालन यादगार था ।आदरणीय प्रीतिजी के आभार पश्चात पुनः सभी आपस में मिलकर एक दूसरे की रचनाओं की प्रशंसा में लीन थे। आदरणीय डॉ अनिल कोरी साहब एवं उनकी अर्धांगिनी श्रीमती विनीताजी से दूसरी बार मुलाकात बहुत अच्छी लगी।आदरणीय मीनू जी, अनिल जी, चिंतितजी के साथ छायाचित्र खिंचवाये। आदरणीय शिरीनजी को मेरी निगाहें ढूंढ रही थी ‘डिंपल’ से मुझे जल्दी मिल गई। आ. देवेंद्रभाई से मार्गदर्शन प्राप्त किया तो आदरणीय पिंकीजी पुरुथी की शालीनता।
आकर्षक सभी नौ पुस्तकों के आवरण पृष्ठ मेघा जैन जी के द्वारा बनाए गए। उनके माता-पिता का इस अवसर पर सम्मान अभिभूत कर गया ।
स्वादिष्ट भोजन में मांडव की इमली भी इठला रही थी। भोजन पश्चात सभी एक-एक करके विदा हो रहे थे मानो विवाह समारोह संपन्न हो चुका। घराती के रूप में आ.प्रीतिदी सपरिवार, आदरणीय अर्पणजी सपरिवार अंत में भोजन कर रहे थे। उन्हें छोड़कर वहाँ से निकलना अच्छा नहीं लग रहा था, मेरी मजबूरी की इन्हें डाक्टर के पास ले जाना था।
सच सबसे अधूरी मुलाकात लग रही थी। आ.डाँ.प्रीतिदी, समकितजी, आ.डाँ.अर्पण जी ऐसे व्यक्तित्व के धनी है कि मैं जब उनके सामने जाती हूं तो श्रद्धा से निःशब्द हो जाती हूँ।आदरणीय शीतलजी एवं इंदौर के साहित्यकारों को सहयोग काबिले तारीफ़ था। अन्तरा शब्द शक्ति सफल आयोजन पर बधाई का पात्र हैंं।
देवयानी नायक
झाबुआ मध्यप्रदेश