अन्तरा-शब्दशक्ति और मेरा का अनुभव
प्रीति सुराना जी से मेरा परिचय हमारे घनिष्ट पारिवारिक मित्र के पुस्तक विमोचन के समारोह में हुआ। औपचारिक बातों के साथ यह मुलाकात सुखद रही।
कुछ ही समय बाद सोशल साइट्स मैं प्रीति जी से दुबारा मिलना और उनका अंतरा शब्दशक्ति परिवार में मुझे शामिल करना |
मेरा साहित्य के क्षेत्र में प्रथम कदम था। अंतरा शब्दशक्ति परिवार में आ.प्रीति सुरानाजी, आ.पिंकी पारुथीजी आ.भारती बाैड़ाईजी ,आ.मीनाक्षी सुकुमारनजी, आ. नवनीताजी, आ. नमिताजी ,आ.कीर्तिजी ,आ.कृतिजी आ.सीताजी ,आ.अर्चनाजी आ.राजलक्ष्मीजी ,आ.नरेंद्र पालजी आ.हेमंतजी ,आ.नवीनजी आ.विवेकजी और सभी आदरणीय एवम् सम्मानित सदस्य जो अंतरा परिवार में शामिल है। सब से नित्य पटल में मिलना।
नित्य पटल पर नवीन विषय और रचनाओ को सांझा करना यह बातें मुझे कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती रहती है तो कभी कभी प्रोत्साहन कमी मायूस भी कर जाती हैं।
पर हाँ एक भी सराहना मुझमे फिर से एक नई ऊर्जा भर देती है। लोकजंग समाचारपत्र में रचनाओं का प्रकाशित होना , प्रतियाेगिता का आयोजन ,पटल मे रूचि बनाये रखने में अहम् भूमिका निभाते है साथ ही सांझा संग्रह में मेरे लेख, कविताओं को स्थान मिलना इ बुक का मिडिया के माध्यम से प्रचार मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक हुआ |
मेरी पुस्तक को प्रकाशित करवाने के लिए प्रीति सुराना जी ने अपना पूर्ण सहयोग और प्रोत्साहन दिया| इस के लिए में उनकी ह्रदय से आभारी हूँ| अंतरा और अपने कार्य के प्रति समर्पण मुझे उनकी यह खूबी हमेशा प्रभावित कर जाती है।
मेरी पहली पुस्तक मेरी उड़ान का अन्तरा शब्दशक्ति से प्रकाशन और दिल्ली में विमोचन समारोह मेरे जीवन का सबसे सुखद क्षण था। कलकत्ता लाइब्रेरी मैं मेरी उड़ान को स्थान मिलना मेरी पहली उपलब्धि है यह प्रीति सुराना जी और अर्पण जैन जी के अथक प्रयासों का परिणाम है जो यह कार्य सफल हो पाया। पुस्तक विमोचन समारोह मैं दिल्ली में अंतरा के सभी सदस्यों का मित्रवत व्यवहार और सहयोग मेरे लिए यादगार रहा।
मुझे साहित्य के क्षेत्र मैं लेखिका के रूप में परिचित करने के लिए में अंतरा शब्दशक्ति और प्रीति सुराना जी की हृदय से आभारी हूँ। भविष्य में भी यह साथ सहयोग बना रहे इसी आशा और अंतरा शब्दशक्ति प्रकाशन के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ
नवनीता कटकवार
बालाघाट