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साहित्य का तीर्थस्थल अंतरा- शब्दशक्ति
लगभग दो बर्ष हुये है मुझे अंतरा-शब्दशक्ति से जुड़े हुये इस बीच साहित्य के अनेक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ा कुछ तो बंद हो चुके है और कुछ आज भी संचालित है। अंतरा शब्दशक्ति ने जो मुकाम राष्ट्रीय और अंतराराष्ट्रीय स्तर पर हासिल किया है उसका श्रेय आदरणीया प्रीति सुराना जी के अथक परिश्रम और हिंदी के प्रति उनकी पूर्ण निष्ठा को प्रमाणित करता है जिसका जीवंत उदाहरण है हिन्दी ग्राम की स्थापना,बेब पत्रिका का अनवरत प्रकाशन,सैकड़ो पुस्तकों का प्रकाशन और भव्य एंव अनुशासित विमोचन समारोह । इसी कड़ी में आदरणीया प्रीति जी द्वारा लोकजंग का संपादन और उसमें स्थापित रचनाकारों के साथ नवोदित रचनाकारों को स्थान देना नवोदितों में उत्साह का संचार तो करता ही है साथ ही नवोदित अच्छे और अनुशासित सृजन की और अग्रसर होते है । आदरणीय प्रीती जी के साथ पिंकी परुथी जी, कीर्ति वर्मा जी,ब्रजेश विफल जी,कैलाश सिंघल जी,हेमंत बोर्डिया जी,अदिति रुसिया जी का मार्गदर्शन, अनुशासन, और सटीक समीक्षात्मक टीप रचनाकारों को जहा विभिन्न विधाओं में परांगत कर रहा है वही अनेक नवोदितों को हिंदी साहित्य जगत में स्थापित भी कर रहा है । मैं सदैव आभारी हूँ अंतरा-शब्दशक्ति परिवार का जिसने मेरी कच्ची-पक्की रचनाओं को देश के जानेमाने साहित्यकारों के बीच प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया और बेहतर से बेहतर लिखने की प्रेरणा प्रदान की । अंतरा-शब्दशक्ति से जुड़े रहना किसी भी साहित्यकार के लिए गौरव की बात है अनेक विध्न बाधाओं को पार कर अंतरा-शब्दशक्ति को हिंदी भाषा का गौरव बनाने में आदरणीया प्रीति जी और उनकी टीम ने जो भागीरथी प्रयास किये है वो अनुकरणीय है प्रणम्यं है ।
जय हिंदी जय अंतरा
शुभ सृजन का मंतरा
नवीन जैन अकेला
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