शब्दों की शक्ति—अंतरा शब्द शक्ति
(एक अनुभव)
अंतरा शब्द शक्ति से जुड़ना अपने आप में एक नया अनुभव है। जब अंतरा शब्द शक्ति से जुड़ी, उस समय नहीं जानती थी कि अंतरा में शब्दों की वो शक्ति है जो वास्तव में उसको अन्यों से अलग करती है। अंतरा के साथ मेरा अनुभव यही कहता है कि यहाँ मुझको कुछ नयापन दिखा। अंतरा की संस्थापिका डॉ प्रीति सुराना पूरी तरह इसमें समर्पित हैं और उन्होंने सबका ध्यान रखते हुए एक अभूतपूर्व योजना बनाई जिसे सुनकर हम खुशी से झूम उठे।
मोटी-मोटी भारी भरकम पुस्तकों को प्रकाशित कराने का खर्च, उसपर जिसको भी दो वो पुस्तक को रख तो लेता पर शायद पढ़ने से कतराता ऐसे में सोलह और बत्तीस पृष्ठ की पुस्तिकाओं ने हलचल मचा दी। जिसको देखो प्रकाशित कराने की इच्छा रखने लगा। मैंने भी सात पुस्तिकाएं प्रकाशित करवाईं। कम खर्च में मेरी रचनाओं का एकल संग्रह में छप जाना और साथ ही उसकी पीडीएफ व ई बुक भी प्राप्त करना सचमुच रोमांचित कर गया। लिंक द्वारा पुस्तक को और अपने भावों को अनेकों लोगों से साझा करना भी सरल हो गया।
अंतरा की पहचान सिर्फ कुछ सदस्यों के समूह तक ही सीमित नहीं है अपितु व्हाटसअप फ़ेसबुक से लेकर अंतर्जाल तक, समाचार पत्र से लेकर राष्ट्रीय पुस्तकालयों तक विस्तृत है। साधारण उभरते हुए कवियों व लेखकों को उनकी पहचान दिलाने में कामयाबी हासिल करने वाली संस्था अंतरा शब्द शक्ति सचमुच ही शब्दों को नई राह दिखाने वाली अनोखी शक्ति है।
नीरजा मेहता ‘कमलिनी’
गाज़ियाबाद (उ.प्र.)