अंतरा शब्दशक्ति और मेरा अनुभव
अगर किसी चीज को दिल से
हासिल करना चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में जुट जाती है।कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी।बचपन से ही लेखन में अभिरुचि होने की वजह से, अनजाने ही मन में अपनी पुस्तक छपवाने का एक सपना पलने लगा था। किंतु, आगे जीवन में,रोज़ की आपाधापी में यह स्वपन धूमिल होने लगा। तभी, अंतराशब्दशक्ति की संस्थापिका, डॉ.प्रीति सुराना एवं वूमन आवाज की संस्थापिका आ.शिखा जैन द्वारा यह संदेश मिला कि, हिंदी में पुस्तक-लेखन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से देश भर की 55महिलाओं का सम्मान के साथ उनकी पुस्तकों का विमोचन किया जायेगा। इस संदेश के साथ ही मेरे सपनों को मानों पंख लग गए और मेरे प्रथम काव्य-संग्रह ,’आगाह’ का प्रणयन हुआ। फिर,4अगस्त 2018को, महादेवी वर्मा कक्ष, हिंदी भवन, भोपाल में कार्यक्रम का होना तय हुआ। पहले यह कार्यक्रम जुलाई में होना था,पर अगस्त में होने से निजी-तौर पर मुझे अतिशय खुशी हुई।कारण,चार दिन के बाद,8अगस्त को मेरा जन्मदिन था..
स्वयं से ही उपहार लेने का ऐसा अवसर विरले को ही मिलता है।
नियत समय पर हुए अतिसफल कार्यक्रम के पश्चात,मेरे लेखन की सुषुप्तता को नया सबेरा मिल गया.कुछ ही दिनों के बाद प्रीति जी ने मुझे अंतरा-शब्दशक्ति के वाट्सएप-समूह से जोड़ लिया.वहां प्रतिदिन दिए गए विषय पर लिखने से, मुझे लेखन से जी चुराने की प्रवृति से मुक्ति मिली और बरसों बाद, मैं फिर से गद्य भी लिखने लगी.विवाह के पश्चात मैं साहित्यिक -माहौल से पूरी तरह दूर हो गई थी,और नए माहौल में तालमेल बिठाते-बिठाते, एक वक्त ऐसा भी आया कि, अपनी लिखी रचनाओं को पढ़ मुझे सुखद आश्चर्य होता था कि,’अच्छा,ये मैंने लिखा है!’ आज मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता होती है कि,साल,सवा-साल के अल्पावधि में अंतराशब्दशक्ति के सहयोग से मेरे और दो काव्य-संग्रह ‘शब्द-नाद’ एवं ‘संचरण’ तथा साझा -संकलन ‘मातृभाषा.कॉम(भाग-२), ‘विवेकानंद’, ‘स्त्री तू सृजक,”मां'(साहित्पीडिया,भाग-२)प्रकाशित हो चुकी है,एक कथा-संग्रह’केक’ प्रकाशनाधीन है.’अंतरा-परिवार से मेरा एक आत्मीय पारिवारिक-संबंध बन चुका है और इस परिवार के करीब सभी सदस्य एक-दूसरे के लेखन को पढ़ते एवं समझते हैं, आवश्यकतानुसार उनपर टिप्पणी कर उनकी कमियों और उनके रचना-वैशिष्ट्य को रेखांकित करते हैं.
सत्य तो यह है कि,अपने काव्य संग्रह ‘आगाह’ के बहाने ईश्वर ने मुझे अंतराशब्दशक्ति परिवार से जोड़ दिया।मेरे जीवन में ऐसे अविस्मरणीय-क्षण लाने के लिए मैं अंतराशब्दशक्ति का हृदय -तल से आभार व्यक्त करती हूं…. कोटि-कोटि धन्यवाद एवं सादर आभार, अंतरा-शब्दशक्ति!
— पूनम (कतरियार), पटना