अन्तरा शब्दशक्ति और मेरा अनुभव
सखी को दी मेरी दो रचनाएँ अन्तरा शब्द शक्ति में प्रकाशित हुई। तब मैंने पहली बार अन्तरा शब्द शक्ति को जाना। फेसबुक पर किये किसी के कमेंन्ट को पढ़कर लिखा “प्रीती जी मै आप से जुड़ना चाहती हूँ, उसी पर मैने भी अन्तरा शब्द शक्ति से जुड़ने की इच्छा रखी और प्रीती जी ने ग्रुप में मुझे जोड़ लिया।
बचपन से ही अपने शब्दों को कापी के पीछे पन्नों, टेबल के कोनो, पुस्तक के पीछे कलम से समेटती, बिखेरती रही। पन्नों ने डायरी का रूप ले लिया।
आज लिखते तो बहुत कलम के धनी है। पहले भी लिखते थे। जो परिवार या डायरी में ही लिखा रह जाता था।
अन्तरा शब्द शक्ति नवंकुरो को प्लेट फार्म देने का एक सशक्त माध्यम है। जहाँ पर वो अपनी बात को रख सकते है। और जहाँ अपनी पहचान बनाने का सभी को अवसर दिया जाता है।
अन्तरा शब्द शक्ति नवंकुरो की पहचान कराने की उम्मीद और आस का दीया है। आत्मविश्वास की मशाल है और हम सब इस मशाल को हमेशा रोशन रखेंगे।
मै अन्तरा शब्द शक्ति का आभार व्यक्त करती हूँ।मुझे मेरी पहचान दिलाने के लिए।
बबीता कंसल
दिल्ली