अंतरा शब्द शक्ति और मेरा अनुभव
शब्द ही शक्ति है बिल्कुल सच है। मौन हर बात का जबाब कतई नही हो सकता अंतरा से जुड़कर हमने जाना। कलम की ताकत को शब्दो की ताकत को हमने जाना। अंतरा से जुड़ने के बाद लेखन निरन्तर बड़ा क्योकि दैनिक विषयो का मिलना और मन न होने पर भी उन विषयों का मन मे घूमना और अंततः कलम का चलना।हमने शब्दों की ताकत से लोरी लिखी कभी तो कभी गीत व गीतिका तो कभी गजल की तरफ मन को मोड़ा। तो कभी गद्य की तरफ रुझान लिया। अंतरा शब्द शक्ति ग्रुप किसी एक विधा पर कमांड नही रखता चहुतरफ़ा विकास जिसे कह सकते है। बहुत लोगो की उत्कृष्ट रचनाओं को पढ़कर और अधिक लिखने की प्रेरणा व बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वर्तमान में चल रहे मुद्दों पर भी चर्चाएं हुई व उन पर भी सृजन हुआ। चाहे वो पुलवामा की दुखद घटना हो या फिर नारी पर अत्याचार की बात।
महत्त्वपूर्ण बात अंतरा शब्दशक्ति के संचालक व पूरी टीम का रचनाओं पर सटीक जो टिप्पणियां मिली उनसे ओर अधिक रचनाओं में सुधार के साथ साथ प्रचार प्रसार का भी अवसर मिला। वो चाहे लोकजंग अखबार में प्रकाशन के रूप में हो या फिर स्वयं की किताब के रूप में कई लोगो का हुआ। रचनाकार रचना लिखता है और वो चाहता है उसकी रचना को लोग पड़े भी और यथा सम्भव सराहे भी ओर रचनाकार का टॉनिक होता है। खासकर महिला रचनाकारों को खुला मंच दिया है,सम्मान दिया है। रचनाओं का प्रकाशन जो कि अंतरा शब्दशक्ति ने दिया। आदरणीय प्रीति सुराना जी के अथक प्रयासों से व उनकी कड़ी मेहनत से मुझे बहुत ऊर्जा प्राप्त हुई उस ऊर्जा से मैं निरन्तर अपनी कलम में स्याही भरकर लिखती हूँ और लिखती रहूंगी। अंतरा शब्दशक्ति से जुड़कर मुझे बहुत प्रोत्साहन के साथ बहुत से स्नेह भरे हुए रिश्ते मिले। मैं बहुत-बहुत आभारी हूँ अंतरा शब्दशक्ति की।
बबिताचौबे शक्ति
दमोह