“शब्दों को शक्ति देता -अंतरा शब्द शक्ति”
बात चाहे शब्द महिमा की हो, शब्द शिल्पियों की हो या उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को पहचान देने की अंतरा शब्द शक्ति ने अपने नाम के अनुकूल ही शब्द और शब्द शिल्पियों की ताकत को समझा परखा और सम्मानित किया।
मानव मन की यह सहज प्रवृत्ति होती है कि वह अपने कृतित्व को सम्मानित होते हुए जब देखता है तो न केवल हर्षित होता है वरन् प्रोत्साहित भी होता है नव सृजन के लिए। इस दृष्टि से देखें तो अंतरा शब्द शक्ति ने सदैव इस पुनीत कार्य मे अपना बहुमूल्य योगदान दिया है और साहित्य तथा साहित्य साधकों को इस क्षेत्र मे निरंतर अग्रसर करने मे अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया है।
अंतरा शब्द शक्ति नाम से साहित्यिक ग्रुप का सृजन कर नये पुराने सभी रचनाकारों की रचनाओं को न केवल स्थान ही दिया है बल्कि उनकी सृजनशीलता को प्रोत्साहित भी किया है।
हम सब जानते है प्रोत्साहन एक निःशुल्क उपहार है किन्तु इसका बहुत बड़ा मूल्य और बहुत बड़ा सम्मान आगे जाकर मिलता है और यह सम्मान ही एक रचनाकार की धरोहर है जिसे सुरक्षित रखने का काम किया है अंतरा शब्द शक्ति ने।
आज के समय मे साहित्य साहित्य कम व्यवसाय अधिक हो गया है। साहित्य सेवा का नही; साधना का नही बल्कि केवल रोजगार का साधन बन कर रह गया है
ऐसे दौर मे आज भी साहित्य को पुनर्जीवित रखने मे और साहित्यकारों के सम्मान को बरकरार रखने मे अंतरा शब्द शक्ति का कोई जवाब नही ।
न जाने कितने साहित्य के नवांकुरों को पुष्पित और पल्लवित करने का काम सराहनीय और अनुकरणीय है ।
साहित्यकारों की रचनाओं का प्रकाशन प्रसारण और प्रोत्साहन अंतरा का मूलमंत्र है। समय समय पर रचनाकारों का बड़े मंचों पर सम्मान उनकी रचनाशीलता को और अधिक मजबूत बनाता है और इस दिशा मे अंतरा ने अपनी महती भूमिका का जो निर्वाह किया है वह निश्चित रूप से साहित्य संस्कृति और साहित्य साधकों के लिए मील का पत्थर साबित होगा ।
बिन्दु त्रिपाठी
भोपाल मध्यप्रदेश