अंतरा शब्द शक्ति का हिंदी सेवा में योगदान:-
अंतरा शब्द शक्ति आभासी दुनिया में एक वास्तविक नाम,
जो हिंदी साहित्य की सेवा के लिए सम्पूर्ण समर्पित है ।
अपने गठन के तीन वर्षों के भीतर ही शीर्ष तक का सफ़र इस शिशु ने तय कर लिया है ।
आज फेस बुक और wap से आगे बढ़कर ,
अंतरा शब्द शक्ति ई मैगज़ीन और अंतरा की अपनी वेबसाइट और स्वयम् का प्रकाशन, इसकी अपार सफलता की कहानी स्वयम् कहती है और ये सब डॉ प्रीति सुराना की एकल मेहनत का नतीज़ा है।
सम्पूर्ण सफ़र खूबसूरत यादों से भरा है। लोकजंग समाचार पत्र के माध्यम से दो वर्ष से अधिक समय से सोमवार से शुक्रवार तक प्रतिदिन 7-8 साहित्यिक मित्रों की रचनाएँ प्रीति जी के सम्पादन में उसके पेज पर प्रकाशित हो रही हैं और यह क्रम सतत जारी है।
अंतरा के मित्र सन्तोष तिवारी जी की शुभ प्रभात और रिश्ते नामक श्रंखला ख़ूब पढ़ी और सराही गयी है जो अब पुस्तकाकार में भी उपलब्ध है ।
अंतरा शब्द शक्ति अपने सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध और वचनबद्ध है। हिंदी साहित्य के उत्थान में इसका महती योगदान है।
आज आभासी दुनिया में जब हर शख़्स 2-4 शब्द लिखकर स्वयं भू साहित्यकार बना बैठा है,
अंतरा शब्दशक्ति अनगढ़ हीरों को तराश कर, उन्हें बेशकीमती बना रही है।
इस सफर के कुछ मित्रों का नाम न लूँ तो लेख बेमानी होगा। सर्वश्री भाई मनोज मधुर जी, आ कुँवर उदय अनुज, आ सत्यप्रसन्न जी, प्रदीप सोनी शून्य, भाई देवेन्द्र सोनी जी, भाई कैलाश सिंघल,भाई राजेन्द्र जैन जी, हेमन्त बोर्डिया जी, राजेन्द्र श्रीवास्तव जी, कैलाश कदम्ब जी,भाई शीतल खंडेलवाल जी, भाई विनोद मानस, बन्धु रामभवन चौरसिया जी, आ. राधा गोयल जी
डॉ भारती वर्मा, डॉ सुनीता लुल्ला, पिंकी अनामिका,कीर्ति वर्मा, डॉ राजलक्ष्मी शिवहरे, वन्दना दुबे जी, नमिता दुबे जी, अदिति रूसिया जी और इस सतत सफर में तमाम नामों से इतर डॉ प्रीति सुराना एवम् अर्पण जी सम्पूर्ण परिदृश्य को मनभावन बनाते हैं और एक खामोश साधक आ समकित सुराना जी के बिना ये ख़्वाब रंगहीन ही होता ।
साप्ताहिक कार्य आयोजना में साहित्य के हर पहलू पर कार्य होता है ।
गीत, नवगीत,गज़ल, कहानी, लघुकथा, भाव पल्लवन, संस्मरण, पत्र लेखन, हायकु, तांका आदि तमाम विधाओं पर सशक्त और उम्दा लेखन यहाँ अनायास देखने को मिलता है ।
और तमाम विद्वानों द्वारा, त्रुटियों की ओर इंगित एवम् परिमार्जन हिंदी की महती सेवा है ।
जब एक अधकचरी और न समझ आने वाली भाषा इन दिनों पनप रही है, अंतरा शब्द शक्ति का ज़ोर, हिंदी के सौष्ठव और सौंदर्य को बचाने पर है ।
अंतरा शब्द शक्ति की अनूठी कार्य प्रणाली नवागत एवम् नवांकुरों में स्वयम् के लेखन के प्रति विश्वास भरती है तो शब्द साधक सहज ही उन्नति की ओर अग्रसर हो जाता है। ये देखा परखा सच है ।
प्रत्येक रविवार को किसी एक मित्र की तमाम रचनाओं पर समस्त सदस्यों द्वारा विहंगम दृष्टि पात और समीक्षीय टिप्पणी, केंद्रीय रचनाकार का उत्साह वर्धन तो करती ही हैं अपितु अन्य सदस्यों की लेखनी में भी उत्साह भरती हैं और हिंदी की सेवा इससे बेहतर हो ही नही सकती कि उसके भाषाई स्वरूप और विन्यास को यथावत रखा जाये ।
अंतरा शब्द शक्ति बख़ूबी ये काम कर रही है ।
और इसके समस्त कर्ता धर्ता इस बात के लिए प्रशंसा और साधुवाद के पात्र हैं।
अंतरा शब्द शक्ति और इससे जुड़े तमाम प्रकल्प हिंदी ग्राम, मातृभाषा उन्नयन संस्थान, मातृभाषा.कॉम, साहित्यकार कोष,
हिंदी हस्ताक्षर अभियान हिंदी का खोया गौरव दिलाने में कामयाब होंगे, इसमें कोई सन्देह नही है।
अंतरा शब्द शक्ति प्रकाशन एक अल्प मौली और लघु कलेवर की मगर, शानदार पुस्तिकाओं की नूतन संकल्पना के साथ उदित हुआ है ।
पिछले दिनों अंतरा शब्द शक्ति के सौजन्य से विभिन्न विधाओं के नौ वृहद संकलन और डॉ वासिफ क़ाज़ी की पुस्तक संकल्पना का प्रकाशन और भोपाल में 46 पुस्तिकाओं का एक साथ विमोचन, वूमन आवाज के साथ मिलकर 66 किताबों का विमोचन फिर हिंदी पखवाड़े में 13 पुस्तकों का विमोचन, विश्व पुस्तक मेले के अवसर 92 से अधिक पुस्तकों का एक साथ विमोचन एक बानगी भर है कि ख़्वाब कितने बड़े हैं और पूरे होंगे ये तय है क्योंकि इच्छा-शक्ति, श्रम और समर्पण की त्रिवेणी का नाम ही अंतरा शब्द शक्ति है। और इसके सदस्यों का आपसी स्नेह इसकी पूँजी ।
शुभकामनाएँ प्रीति जी
ब्रजेश शर्मा विफल
झाँसी (उ.प्र.)