अंतरा शब्द शक्ति और मेरा अनुभव
अंतरा जो अंतर मिटा दे..नये पुराने में ,कनिष्ठ वरिष्ठ में..
सच..अनमोल वो पल थे ..और है..और रहेगे।अंतरा नव रचनाकारो को नया जीवन या ये कहे इसने नई दिशा दी है कलमकारो को सही रूप में मान दिया है..क्योंकि जो नये है जिनने अभी अभी कलम संभाली और लोगो ने उन्हें कभी नजरो से,कभी कुर्सी से तो कभी…बहुत से कारणो से गिराने की कोशिश की.. .वह बेचारा नदी की भंवर मे फंसा असहाय सा अपने को महसुस करता है ऐसे मे अंतरा उसके लिये नैया को पार लगाने वाली संस्था है जो उन्हे साहित्यिक जानकारी के साथ साथ उनकी रचनाओं का प्रकाशन भी कराती है प्रकाशन ही नहीं अपितु उन्हें प्रगति मैदान में हुये पुस्तक मेले मे रखवाती है
अंतरा अपने साहित्यकार का लालन पोषण भी करती है ..सही अरथो में वो सृजनकरता है…मै अपने आप को भागयशाली मानती हूं जो मुझे इससे जुड़ने का गौरव मिला
आयेगे और भी लोग ..
पर इस सा नहीं..
मिलेगा नहीं कही और…!
मनोरमा रतले
दमोह (म.प्र.)