अन्तरा शब्दशक्ति- एक पुष्प वाटिका
अंतरा शब्द शक्ति से मेरा परिचय बेटी शुभ्रा ने कराया। उसका सदस्य बन कर मुझे कुछ ऐसा लगा, जैसे उस ने कमरे की बगीचे वाली खिड़की खोल दी, और बोल रही है–” देखो मां कितने सुन्दर-सुन्दर फूल खिले हैं बगीचे में।”
सच में अंतरा शब्द शक्ति रंग बिरंगे पुष्पों से सुसज्जित एक सुन्दर वाटिका ही तो है। तरह-तरह के रचना रूपी पुष्प प्रस्फुटित होते रहते हैं यहां इस पटल पर। इस वाटिका के माली यत्न पूर्वक पुष्पों को आकर्षक, मनमोहक रूप देने को तत्पर रहते हैं।
अंतरा शब्दशक्ति का सदस्य बनने पर मुझे एक नया परिवार मिला सभी बहुत ही अच्छे, सुलझे विचारों वाले और मेहनती हैं। इस पटल पर सभी उम्र के लोग अपनी रचनायें साझा करते हैं, और सब से अच्छी बात यह है कि बिना किसी भेद-भाव के सभी रचनाओं की आलोचना, सराहना होती रहती है।
मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला यहां, और मैं नित्य नया कुछ सीखने के प्रयास में भी हूं। बगीचे से आया हुआ ताजा हवा का झोंका है, अंतरा शब्द शक्ति मेरे जीवन में ।
माधुरी मिश्रा
जबलपुर