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अन्तरा शब्दशक्ति और मेरा अनुभव
डॉ प्रीति सुराना जी के माध्यम से अन्तरा-शब्दशक्ति से जुड़ना बेहद ही सुखद अनुभव रहा है। जहाँ एक मंच मिला व्हाट्सएप और फेसबुक दोनों पर जहाँ आप रोज़ नित नए विषय पर स्वच्छंद लिख सकते हैं फिर चाहे वो कविता, लघुकथा , लेख,परिचर्चा, संस्मरण आदि। इसी के साथ लोकजंग में रचनाएं छपने का अवसर भी प्रदान होता है।
सब से अहम बात जो अन्तरा-शब्दशक्ति के माध्यम से हुआ है वो है साझा संग्रह की प्रथा को तोड़ते हुए अपनी निजी पुस्तकों का प्रकाशन जिस से हर एक को अवसर मिला अपनी खुद की पुस्तक प्रकाशित होने का जो एक गर्व की बात है। इस तरह निरंतर अन्तरा-शब्दशक्ति डॉ प्रीति सुराना जी के परचम तले नित नए आयाम कायम कर अपनी अहम पहचान बनाता जा रहा है। जिस से लेखक व पाठक दोनों ही लाभान्वित हो रहे हैं।
निजी तौर पर भी कहें तो अन्तरा शब्दशक्ति के साथ जुड़ना बेहद ही गौरवपूर्ण रहा है। अब तक कई बार लोकजंग में रचनाओं को स्थान व 6 निजी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और 7 वीं प्रकाशाधीन है।
अन्तरा शब्दशक्ति को अनेको बधाई व शुभकामनाएं ये सफर निरतंर यूँ ही चलता रहे।
मीनाक्षी सुकुमारन
नोएडा (यू.पी)
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