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अंतरा शब्द शक्ति और मेरा अनुभव
अंतरा शब्द शक्ति से मेरा पहला परिचय फेसबूक पर हुआ। मुझे जनवरी 2019 में संस्था द्वारा आयोजित दिल्ली में पुस्तकों के विमोचन कार्यक्रम में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ जिसमें सबसे छोटी प्रतिभागी मेरी नातीनी आस्था दीपाली की पुस्तक ‘जादू की छड़ी’ का विमोचन हुआ था। संस्था के निम्नलिखित विचारों को सुनकर अच्छा लगा जो मुझसे मेल खाती है।
- हस्ताक्षर हिन्दी में करने का परामर्श देना
- हिन्दी की सेवा व उत्थान के लिए निरंतर प्रयास करना
- नए लेखकारों के पुस्तकों का विमोचन कर उत्साहित करना – इत्यादि
वास्तविकतः उपरोक्त विचार राष्ट्रीय विकास का एक सहायक तथा उत्प्रेरक अंग है।
मैंने करीब 50 वर्ष पूर्व अभियंता के रूप में भारत सरकार के प्रतिष्ठान में कार्य शुरू किया तो मातृभाषा से प्रेम के कारण हिन्दी मे हस्ताक्षर करना अपनाया और फिर अंग्रेजी परिवेश में रहकर हिन्दी में व्यक्तव्य लिखना । आज भी जब समाचार पढ़ना या सुनना होता है तो हिन्दी समाचार पत्र व दूरदर्शन का हिन्दी चैनल हीं चुनता हूं।
मैंने अपने जीवन में कई लघुकथाएँ लिखी है तथा कई कविताओं का जन्म मेरे अंतःकरण से सम्भव हुआ है। अपने जीवन के कई सामाजिक व आध्यात्मिक अनुभवों को भी रेखांकित कर यह भावना आई कि इन अभिव्यक्तियों को किताब का आकार दूं ताकि अन्य लोग भी इससे लाभान्वित हो सकें परन्तु कोई अवसर नहीं मिल रहा था। अंतरा शब्द शक्ति के साथ अब धीरे धीरे मैं इस पर काम करूंगा।
– अलख निरंजन प्रसाद सिन्हा
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