Page Visitors Count: 808
इतिहास गवाह है सदा-सदा से
कितना तप का तेज और शक्ति,
असंभव भी संभव होता है
निखर जाती है तप से भक्ति,
अनुष्ठान कितने ही कर लो
इंद्रिय निरोध से आत्मा जगती,
वर्तमान पुकार रहा है
दिखला दो सब अपनी शक्ति,
संकट विषम है देश पे आया
नही झुकेंगे बात है पक्की,
घर पर रहना भी एक तप है
आज जरूरत है इस तप की,
खुद समझो समझाओ पर को
सुलझाओ ये उलझी गुत्थी,
गाना गाते देशभक्त हूँ
अब दिखलादो देशभक्ति,
समय तो है ये निकल जाएगा
पछतावा फिर करना न रत्ती।
दिखला दो सब देशभक्ति…..
ऋतु कोचर, कटंगी
Total Page Visits: 808 - Today Page Visits: 2