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एक एक से दूरी नहीं बनाओगे।
कोरोना से कैसे फिर लड़ पाओगे।
इसे तपस्या मान जरा।
गंभीरता पहचान जरा।
अपने संग में औरों की,
अभीबचाओ जान जरा।
लापरवाही यूँ ही यहाँ दिखाओगे।
कोरोना से फिर कैसे लड़ पाओगे।
सरकारों का कहना है।
दूर सभी से रहना है।
कष्ट उठा ले अभी जरा,
फिर ये दुख ना सहना है।
तपका मीठा फल यहाँ नहीं पाओगे।
कोरोना से कैसे फिर लड़ पाओगे।
इतनी बड़ी समस्या है।
छोटी जबकि तपस्या है।
बात समझ ना पाते क्यों,
बुद्धि वालों कहो क्या है?
जंग जीतकर जबतक यहाँ नआओगे।
कोरोना से फिर कैसे लड़ पाओगे।
✍🏻 श्रीमती मधु तिवारी,
कपसदा,दुर्ग, छत्तीसगढ़।
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