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गुरू बिन ज्ञान नहीं
गुरू बिन ध्यान नहीं
विद्या जप जोग तप
गुरू ही सिखात हैं
कृपा गुरु होत सब
सद् के किवार खुले
जग का जो सार मेरे
गुरू ही बतात हैं
जाको गुरू महिमा को
ज्ञान भान होय गयो
पर काज हार जाओ
गुरू समझात हैं
गुरू ही परम धाम
गुरू ही तो सर्वमान
ब्रह्मा विष्णू शिव कौन
गुरू बतलात हैं
प्रतिमा “संत” बाजपेई
मंडला
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