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शुद्ध चित्त से ये दृढ संकल्प अपेक्षित है
तन से, मन से और विनय से तप अपेक्षित है
सर्व कल्याण की इच्छा हो,अहं का त्याग करें हम सब
निज स्वार्थ से परे कोई ढूंढें विकल्प अपेक्षित है
बस ये संकल्प अपेक्षित है
संतुलन है मांग समय की अब,पाया है जो लौटायें भी
हो दान अधिक जीवन में हो संग्रह अल्प अपेक्षित है
बस ये संकल्प अपेक्षित है
है कठिन किन्तु घातक न बने,है विनय यही
प्रियजन की मुस्कानो के संग बीते ये कल्प अपेक्षित है
बस ये संकल्प अपेक्षित है
कुछ दिवस का तप अपेक्षित है
:भावना विशाल
हनुमानगढ, राजस्थान
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