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नवसंवत् आया है
नई आशा की किरण लाया है
जीवन जोत जलेगी देश में
ये संदेशा लाया है
ये पर्व है माँ जगजननी का
जो करती रक्षा दुष्टों से है
करती है विनाश दानवों का ये
सब संताप हर लेती अपने भक्तों का
कठिन घड़ी है आन पड़ी
विपदा आई भारी है
हे जगदंबे उद्धार करो
इस भीषण महामारी से सबकी रक्षा करो
अपने तप और बल से माँ
हम सबका तुम दुःख हरो
किए अपराध जो हमने
उन सबको तुम माफ़ करो
किया जो मानव ने प्रकृति से खिलवाड़ है
ये सब उसका ही दुष्परिणाम है
मूरख अज्ञानी बच्चों की माँ
तुम ही अब पालनहार हो
कठिन तपस्या कर माँ
हम बचाएँगे धरा
अपने तप के बल से माँ
फिर कर देंगे सारा जग हरा भरा
अदिति रूसिया
वारासिवनी
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