जय आदि शक्ति जगदंबे मां
जय जय संकट हरणी मां
नौका पर होकर सवार आई मां
खुशियों की उम्मीद ले आई हो मां
“गर्भ दीप”जलाकर मां हाथ जोड़
विनती करती हूं, गरबा का रास रचाऊंगी , सखियों के संग मिलकर
उम्मीदों का है दीप जलाया
हे संकट हरणी आदि शक्ति मां
आज मानव पर घोर संकट है मां
चारों ओर फैली महामारी
जान बचाकर फिरते हैं सब
घर के अंदर चहारदीवारी में
ऐसा घोर संकट है छाया बंद पड़ा
मंदिर का पट है, मन मंदिर में ज्योत जलाया, “गर्भ दीप”मन के भीतर
उम्मीद की गरबा रास रचाए
सब मिलकर दुआ मांग रहे
जय संकट हरणी मां
तेरे आने से जग झूम उठा
नई उम्मीद के पुष्प कुसुमित हुए
भाव की पुष्प की माला से
करती हूं तेरा मैं तेरा सिंगार
दया करो हे जग जननी मां
महामारी दूर करो मां, भय से सबको मुक्त करो मां, डरा हुआ हर मानव है
मानव से मानव दूर हुआ,
कैसे सखियों संग मिलकर हम
रंग बिरंगे वस्त्रों में सजकर
गरबे का रास रचा आऊंगी मैं
जब जग में चारों ओर हाहाकार मचा है
कैसे खुशियां मैं मनाऊं मां
हे संकट हरणी जय मां ,
भव भय हरिणी मां
बस एक ही उम्मीद है
मां तेरे आने से झूम रहा है संसार
कष्ट हरेगी, खुशियों से झोली भर देगी
बस यही उम्मीद है मां तेरे दर पर “गर्भ दीप”जलाऊं खुशियों से गरबा का रास रचाऊं, महामारी का नाश करो
हे दुर्गतिनाशिनी दुर्गे मां
जय संकट हरणी मां
हे आदि भवानी, जग कल्याणी महामारी से उद्धार करो खुशियों की बौछार करो, गरबे का रास रचे ,
दर पर ढोल नगाड़े बजे, झूम-
झूम नाचेंगे सारी रात, गरबे की रात मां
मां तेरे आने से झूम रहा है
संसार , होकर नौका सवार आई
उम्मीदें मां साथ लाई गरबे की रात आई गर्भ दीप जलाओ खुशियां मनाओ
तेरे आने से झूम रहा है संसार।
आरती तिवारी सनत