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रफ़्तार करो कम, के बचेंगे तो मिलेंगे !
गुलशन न रहेगा तो कहाँ फूल खिलेंगे ?
वीरानगी में रहके ख़ुद से भी मिलेंगे !
रह जाएं सलामत तो गुल ख़ुशियों के खिलेंगे !
अब वक़्त आ गया है क़ायनात का सोचो !
ये रूठ गई गर तो ये मौके न मिलेंगे !
जो हो रहा है सोचो, क्यूँ हो रहा है ये,
क़ुदरत के बदन को और कितना ही छीलेंगे ?
मौक़ा है अभी देख लो फिर देर न हो जाए !
जो क़ुदरत को दिए ज़ख्म वो कैसे सिलेंगे ?
है “कोई” तो जिसने जहां हिला के रख दिया !
लगता था कि हमारे बिन पत्ते न हिलेंगे !
झाँको दिलों के अंदर,
क्या करना है “निदान” तो सोचो !
ख़ाक में वरना हम सभी जा के मिलेंगे !
ख़ाक में वरना हम सभी जा के मिलेंगे !
Stay Home, Save Lives !
सूर्य “निदान”🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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