Page Visitors Count: 426
तप इच्छा निरोध करना किन्तु
तप इच्छा दफन नही करना
तप तब संयम बिन नही अतः
तप अंतर डूब सदा करना
तप त्याग बिना कैसे संभव
तप राग सहित भी न होता
तप वीतराग मय भाव तभी
तप संतप्त तपस्वी के होता
तप तन मन दोनो से होता
तप तभी श्रेष्ठतम फलदायी
तप कर्तव्य मार्ग ही समझो
तप जीवन ही मंगल दायी
तप अग्नि परीक्षा आज बड़ी
तप बीच जो आयी विपत घड़ी
तप आज वही कि घर मे रहे
तप फलित तभी निश्चिंत रहें
तप करो-ना सोच करो अब
तप डिगे कुछ ऐसा करो ना
तप से ही संयम भाव बनेगा
तप से महामारी शीघ्र हरो-ना
तप परोपकार मे होता जब
तप ही सच्ची राष्ट्र भक्ति
तप पर कविता बने तभी
तप वल ‘अनेकांत शक्ति।
राजेन्द्र जैन अनेकांत
बालाघाट दि 25-03-2020
Total Page Visits: 426 - Today Page Visits: 1