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मांत तुम्हारे चरणों में नित
आकर शीश झुकाऊं ,
सबकी विपदा दूर करो
इतनी अरज लगाऊं मां ।
कितनी कठिन तपस्या है
यह कैसे तुम्हें बताऊं ?
ममता की बलिवेदी पर मैं
लाखों पुष्प चढ़ाऊं मां ।
लाखों दिये जलाऊं मठ में
इतना ही कह पाऊं ,
पूरनमासी के भी दिन मैं
दीपावली मनाऊं मां ।
हाथ रचे मेहंदी पैरों में
महावर तुम्हें लगाऊं ,
कर सोलह सिंगार तुम्हारा
तुमको खूब सजाऊं मां ।
सोने चांदी की थाली में
आकर शगुन मनाऊं ,
पान सुपारी ध्वजा नारियल
रोली तिलक चढ़ाऊं मां ।
ललिता नारायणी
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