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आज *सृजक-सृजन समीक्षा विशेषांक* में मिलिये *दुर्ग (छत्तीसगढ़)* के नन्हे साहित्यकार *करण जैन* जी से। हमें आप सभी की समीक्षा की प्रतीक्षा रहेगी, अपनी प्रतिक्रिया कॉपी करके फेसबुक और वेबसाइट के लिंक पर भी जरुर डालें।
सभी मित्रों से निवेदन है कि आज पटल पर इन रचनाओं की समीक्षा के अतिरिक्त कोई भी क्रिया-प्रतिक्रिया या पोस्ट न डालें। पटल के सभी नियमों का पालन अनिवार्य रुप से करें।🙏🏼
*निवेदक*
संस्थापक
*अन्तरा शब्दशक्ति संस्था एवं प्रकाशन*
डॉ प्रीति समकित सुराना
*परिचय*
नाम – करण जैन
पिता – श्री संजय जैन
माता – श्रीमती चंदना जैन
जन्म- 24 अप्रिल, 2004
पता- A- 39 “समर्पण” खंडेलवाल कॉलोनी, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
ईमेल karansjain2004@gmail.com
शिक्षा- कक्षा ११ ( दिल्ली पब्लिक स्कूल, दुर्ग )
कार्यक्षेत्र -विद्यार्थी
*प्रकाशन* – कुछ मेरे मन की… , सावन (दर्पण, राजभाषा को समर्पित गृह पत्रिका), शिक्षक (दर्पण, राजभाषा को समर्पित गृह पत्रिका)
*सम्मान*-
द्वितीय स्थान (इंटर स्कूल कहानी लेखन)
*आत्मकथ्य*
मेरा नाम करण जैन है। मैं 11वीं क्लास का छात्र हूँ मैं जब 5 वीं में था तब स्कूल में मेरे गुरुजनो एवं पिता जी एवं माता जी के मार्गदर्शन से मेरे द्वारा प्रथम कविता अपनी मातृभूमि पर लिखा जिस पर मैंने अपने आपको गौरवान्वित महसुस हुआ कि भारत देश की माटी पर मेरा जन्म हुआ। लेकिन अपनी इस लेखनी को वही विराम दे दिया था। फिर मेरे नाना जी द्वारा इस रचना को पढ़ने के बाद मेरे हौसले को नया आयाम दिया और फिर मैंने 7 वी में नए उत्साह एवं नाना जी की के आशीर्वाद से अपनी कविता का लेख कार्य फिर से प्रारंभ किया, फिर मेरे द्वारा लगभग 120 कविता की रचना की गई, और पिताजी एवं माता जी के आशीर्वाद से 25 कविता जिसका शीर्षक *कुछ मेरे मन की….* प्रकाशित हुआ। यह काव्य संग्रह *Amazon एवं Notion Press* में उपलब्ध है। यहां पर अपनी लेखनी को विराम देते हुए……
*सादर जय जिनेंद्र*
*करण जैन*
*१. हारा नही गिरा है तू, चोट तो लगेंगी*
हारा नही गिरा है तू, चोट तो लगेंगी,
अगर ज़िंदगी में कुछ हासिल करना है तो हर चोट सहनी पड़ेगी ।
अगर रगो में साहस हो तो चुनोतियों का तूफ़ान तुम्हारा रुख़ नही मोड़ पाएगा,
चाहे एक मुश्किल आए या हज़ार कोई भी तुमहारा हौसला नही तोड़ पाएगा।
हर बड़ी जीत के पहले चुनोतियाँ हज़ार आती है,
आज के युग में जिनके रास्ते कठिन हो उन्हीं की जयजयकार होती है ।
अपने हौसले की शमशीर से हर चुनौती का सामना कर,
हारा नही गिरा है तू, उठ और फिर से लड़।
इन चोटों को अपनी कमज़ोरी नही अपना हथियार बना लो,
अपने और मुश्किलों की बीच हौसलों की दीवार बना लो।
हार-जीत की चिंता छोड़,
तू अपने राह पर चलते जा,
अपने हौसलों के पंजो से मुश्किलों को कुचलते जा ।
इस दुनिया की परवाह न कर,
ये तो दिखावे की है,
जो आज तेरे ख़िलाफ़ है ,
वो कल तेरी हाँ में हाँ मिलाएँगे,
तू जहाँ जाएगा तेरे पीछे पीछे चले आयेंगे।
इस सबको भूल तू अपने रास्ते पर आगे बढ़,
हारा नही गिरा है तू , उठ और फिर से लड़।
*२. ज़िंदगी*
ज़िन्दगी उस तूफ़ान की तरह है जो अक्सर अपना रुख बदलती है,
कभी ख़ुशी कभी गम बस यूं ही भगवान् भरोसे चलती है |
बचपन में खिलोनो के पीछे, फिर मार्क्स के पीछे और फिर पैसो के पीछे हम बस भागते ही रहते है,
अपनी खामियों को भूलकर दूसरों के गिरेबान में झाकते ही रहते है |
उपरवाला हमारा हर दिन चुनोतियो से भरता है,
पर इन चुनोतियो से कैसे निपटना है वो हम पर निर्भर करता है |
ना गुस्सा न जलन इस दुनिया में कुछ काम नही आएगा,
आपका प्यार ही आपको सबके करीब पहुचायेगा |
यारो इस चार पल की ज़िन्दगी में नेकी का काम कर लो,
अपने साथ साथ दुसरो की ज़िन्दगी भी खुशियों से भर लो।
*३. पढ़ाई करो, पढ़ाई करो*
पढाई करो, पढाई करो, दसवी बोर्ड है पढाई करो,
दिन रात मर-मर के पढो,
फिजिक्स का फार्मूला दिमाग में भरो |
कभी सोचा नही था बचपन में जिस चुम्बक से खेलूँगा,
उसके बारे में पूरा एक चैप्टर पढना पड़ेगा,
मोटर और जनरेटर के बीच मुझको सड़ना पड़ेगा |
केमिस्ट्री में सबका दिमाग फिरता है,
नमक, निम्बू, दूध, दही घर में कम बुक में ज्यादा दिखता है |
हिस्ट्री, सिविक्स, जियोग्राफी, इकोनॉमिक्स ये है चार भ्रमास्त्र,
अच्छे-अच्छो को कर देते है परास्थ |
हाय, हेल्लो, व्हाट डू यू डू बोलना इंग्लिश हमे सिखाता,
दो पेज भर के लिखने पर बच्चा मात्र २ नंबर पता |
पुस्तकों के बोझ तले दब गया हूँ मैं,
पढ़ पढ़ के अब थक गया हूँ मैं,
तभी पीछे से आवाज़ आती है,
पढ़ते रहो थकना मना है,
चलते रहो रुकना मना है |
*४. ज़िंदगी है दो पल की *
ज़िन्दगी है दो पल की ख़ुशी-ख़ुशी बिताओ,
धैर्य एवं सहस के बलबूते पर हर मुश्किल से हाथ मिलाओ,
अपनी इच्छाशक्ति से गम को भी ख़ुशी बनाओ,
ज़िन्दगी है बस दो पल की ख़ुशी खुश बिताओ।
ज़िन्दगी की इस राह पर चुनोतियाँ हज़ार होगी,
बेशक कभी-कभी तुम्हारी हार भी होगी,
पर रगों में हिम्मत भर तू चलते जा,
देर से ही सही पर एक ना एक दिन तेरी जयजयकार भी होगी।
कभी ठोकर खायेगा, कभी चोंट लगेगी,
कभी आँखें नम होगी, कभी ज़िन्दगी कठोर लगेगी।
पर तू निराश न होना,
इन मुश्किलों को देख अपने लक्ष्य को मत खोना।
ज़िन्दगी है दो पल की ख़ुशी-ख़ुशी बिताओ,
धैर्य एवं सहस के बलबूते पर हर मुश्किल से हाथ मिलाओ।
*५. फूलों से तेरा श्रृंगार करूँ*
फूलों से तेरा श्रृंगार करू,
तेरा दास बन जाऊ मैं,
हर दिन तेरे दरबार में आकर तुझे शीश नमाऊँ मैं ।
तुझसे ही मेरा शाम और सवेरा,
मैं भक्त तेरा हनुमान सा तू राम मेरा ।
तेरे दरगाह में आकर मैं हर रोज चादर चढाऊंगा,
मैं अपना अंतिम समय तेरे साथ ही बिताऊंगा ।
हे महावीर, अल्लाह, जीसस और वाहे गुरु आप सबको मेरा नमन,
हम ये वादा करते है की हम करेंगे विश्व शांति का चयन ।
अब नही करेंगे धर्म के नाम पर देंगे फसाद,
हम सब जियेंगे भाईचारे के साथ।
* * * *
धन्यवाद
करण जैन