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आज सृजक- सृजन समीक्षा विशेषांक में मिलिये मण्डला (म.प्र.) की रचनाकार नवनीता दुबे “नूपुर” जी से। हमें आप सभी की समीक्षा की प्रतीक्षा रहेगी, अपनी प्रतिक्रिया कॉपी करके फेसबुक और वेबसाइट के लिंक पर भी जरुर डालें।
सभी मित्रों से निवेदन है कि आज पटल पर इन रचनाओं की समीक्षा के अतिरिक्त कोई भी क्रिया-प्रतिक्रिया या पोस्ट न डालें। पटल के सभी नियमों का पालन अनिवार्य रुप से करें।🙏🏼
निवेदक
संस्थापक
अन्तरा शब्दशक्ति संस्था एवं प्रकाशन
डॉ प्रीति समकित सुराना
परिचय
नाम-नवनीता दुबे “नूपुर”
पिता-स्व.श्री ब्रिजेन्द्र कुमार दुबे
माता-स्व.कमला दुबे
पति- श्री मनोज कुमार दुबे
पता–प्रज्ञानगर देवदरा,मण्डला मप्र
शिक्षा-एम. ए. बी.एड.(हिन्दी साहित्य)
पद नाम- शासकीय शिक्षिका
रुचि- साहित्य,लेखन व संगीत ।
विधा–कविता,लघुकथा,गीत लेखन एवम अन्य।
प्रकाशित काव्य-संग्रह-“नूपुर की सरगम”(2013)
उपलब्धियां–
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में सन 1990 से अनवरत रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न साहित्यिक मंचों पर काव्य पाठ -21वी सदी की श्रेष्ठ हिन्दी कविताएं एवम नारी चेतना की आवाज पुस्तकों में रचनाएँ प्रकाशित एवम सम्पादक मंडल की सदस्या।
सम्मान–जे एम डी पब्लिकेशन द्वारा “विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान”, राष्ट्रीय कवि संगम मप्र द्वारा साहित्य सक्रियता हेतु ” शब्दशक्ति सम्मान”2013,”अंतरा शब्दशक्ति सम्मान “
मातृ भाषा उन्नयन सम्मान,
रेवा साहित्य सम्मान,
साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर द्वारा,2020 सक्रियता सम्मान,
धामपुर,उत्तरप्रदेश से “काव्य सृजन सक्रियता सम्मान”,
जिला इकाई अखिल भारतीय साहित्य परिषद मण्डला द्वारा “नारी गौरव सम्मान”
अंतरराष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच द्वारा पहली महिला पर कविता हेतु “सृजन प्रशस्ति पत्र”
कलम से कलम मंच मेरठ द्वारा,”उत्तम गीतकार सम्मान”
शिक्षा रश्मि दिल्ली द्वारा,” “मातृभूमि साहित्य सेवा सम्मान”
राष्ट्रीय रचनाकार महिला मंच द्वारा”जश्ने आजादी पर काव्यपाठ हेतु सम्मान।
अभिव्यक्ति धामपुर उत्तरप्रदेश द्वारा “गणतंत्र प्रहरी सम्मान”
साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर द्वारा,”ज्योतिर्मय सम्मान 2020″
वाइस ऑफ हार्ट मंच द्वारा,”रचना प्रतिभा सम्मान”2020
जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन मण्डला मप्र द्वारा”कथा सारथी सम्मान”
अभिव्यक्ति मंच उ.प्र.द्वारा
“अभिव्यक्ति रत्न सम्मान”2020
ग्रेसियस वेलफेयर फाउंडेशन नीमच द्वारा “देशप्रेम कवयित्री सम्मान”
हिन्दी लेखिका संघ मण्डला द्वारा,”दिनकर साहित्य सम्मान”
राष्ट्रीय कवि संगम मण्डला द्वारा,”काव्य साहित्य सम्मान”
मुक्तकेशी पुस्तक प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित पुस्तकों में 10 रचनाएँ प्रकाशित एवम मन्दा पब्लिकेशन दिल्ली द्वारा “केसरिया”एवम “आल्हाद”में 10 कविताओं का प्रकाशन।”
“कस्तूरी सुगन्ध”पुस्तक में 10 कविताएं प्रकाशित।
🌹नवनीता दुबे”नूपुर”🌹🙏 मण्डला मप्र🙏
1)
“आत्मीयता”
” आत्मीयता” का
अर्थ अब ,
बदल रहा है,
जैसे नियम मांग औऱ पूर्ति का
अर्थशास्त्र के नियम
अब सम्बन्धों में भी
लागू हो रहे।
रिश्ते कृत्रिम, औऱ
बनावट असली हैं।
मुखोटों की भीड़ औऱ
आत्मीयता का अभाव
शायद ,समय के प्रवाह में
मौसम की तरह बदलते हैं स्वभाव।
शिष्टाचार के ढंग निराले
स्वार्थ के रंगीन दुशाले।
जरूरत के हिसाब से बनते बिगड़ते हैं रिश्ते,
यंहा भाई भाई भी अब
दो गज जमीं के लिये झगड़ते।
संस्कारों की चादर उधड़ गयी
आत्मीयता भी कंही दम तोड़ गयी।
✍️नवनीता दुबे “नूपुर”💐
2)
“कब आएगी भोर सुहानी”
” स्वार्थ, अहम का
भर रहा मेला,
मानवता की लुप्त निशानी,
कलयुग का घोर अंधेरा,
कब आएगी भोर सुहानी।
पाश्चात्य संस्कृति फूल फल रही
युवापीढ़ी नशे में झूल रही,
भारत माँ हो रही पानी पानी,
कब आएगी भोर सुहानी।
महामारी का देखो प्रहार
प्रकृति से व्यभिचार।
भुगत रहे अपनी करनी अब
मौत के तांडव की कहानी।
कब आयेगी भोर सुहानी।
कन्या भ्रूण हत्या,दहेज, दुराचार
भृष्टाचार , का चहुँओर अधिकार।
अधर्म , आतंक से कर रहे वो
जब देखो तब मनमानी।
कब आएगी भोर सुहानी।
कब आएगी भोर सुहानी।”
🎭 नवनीता दुबे “नूपुर”
मण्डला मप्र
3)
विधाता की यह कैसी लीला
“महामारी का तांडव
खतरे में मानवता
प्रकृति से छेड़छाड़
बड़ा महंगा पड़ा।
अपने किये की भुगत रहा
इंसान भी कितना नादान
कर्मो का फल मिल रहा।
विधाता की यह कैसी लीला।
दुष्कर्मों को करते वक्त
यह नहीं सोचते लोग
बुरे काम का बुरा नतीजा भुगत
लेते हैं फिर
शैतानियत क्यों भर दी
बनाकर इंसान ?
ह्रदय न हों दूषित कोई
कर्मों से सब बने महान।
कंही योगी ,सत्कर्मी
कंही मिलते शैतान।
विधाता की यह कैसी लीला?
🌹नवनीता दुबे नूपुर🌹मण्डला मप्र
4)
“जीवन संघर्ष”
” सूर्य की रक्तिम लालिमा
जब हुईं श्वेत चांदी सी,
घड़ी की सुइयां भी
ज्यों करतीं प्रतियोगिता सी
छिटकती रौशनी से
फिर होता इक औऱ दिवस
का अवतरण,
जीवन संघर्ष, पार करते कई पड़ाव, कभी हताशा, तो कभी उत्कर्ष।
औऱ फिर खो जाती ये दुनिया
पुनः अपने अस्तित्व की खोज में,
जय पराजय की अंतहीन हिलोरें
समा लेती जन जन के ह्रदय में टीसों का टीला।
औऱ फिर पसीना पोंछते वापस
पंछियों की तरह घरौंदे में ,पहुंचने की ललक, मन को भाते दृश्य,
सान्ध्य नारंगी किरणें औऱ
खनखन घण्टियों की आवाज
तरंगित करती मन को
गोधूलि बेला!!!!!!!!!!
🌹नवनीता दुबे नूपुर 🌹
मण्डला मप्र
5)
मेरी रचना ,”शीर्षक– मेरी प्रेरणा स्रोत, ममतामयी माँ”(मेरी परम् पूज्य माताजी,आदरणीया स्वर्गीया, श्रीमती कमला दुबे जी को सादर समर्पित ,चन्द पंक्तियां)
” जीवन के खट्ठे मीठे, अनुभवों को चख कर, न व्यक्त पायीं कभी मगर , पन्नों पर उकेरकर
अपनी मनोदशा।
मेरी ममतामयी माँ की बस ,देख यही व्यथा, किया मेने निश्चय
माँ, आप तो उलझी रहीं, अपनी दुनिया में बसने बसाने को
कभी न मिला समय, अपनी
कहानी सुनाने को।
तो क्या.…
तो क्या…
मेरे लिये विश्वविजेता सी उपलब्धि यही,
दिया तुमने पथ पथ पर साथ
लेखन के लिये मुझे उकेरती रहीं।
दिया भरपूर प्रोत्साहन,
जीवन को सूक्ष्म कैसे करें अवलोकन।
सिखाया माँ तुमने ही,
कलम को हथियार बनाकर
संवारना अपना जीवन,
तुम ही तो मेरी पहली कविता,
पहली कहानी, पहली लघुकथा।
माँ!! तुम्हारे दिशा निर्देशन में,
सीखा मैने, जीवन की दुश्वारियां
कागज पर उतार कर, कैसे कर सकती हूं मैं मन अपना हल्का।
फैल रहा जो अनाचार,नारी के संग व्यभिचार, कैसे छंट सकेगा
नारी की प्रगति के आड़े आता धुंधलका।
माँ!!वो तुम ही तो थीं,जिसने
सिखाया ,सर्वप्रथम देनी है,
हौसलों को उड़ान, अपने नाम को पहचान,औऱ बेटी बने अभिमान।
माँ!!तुमने ही जलाई ज्योत मेरे
मन मे पसरे अंधकार को मिटाने, सिखाया,
कुछ लिखकर ,रचकर स्वयं को एक कृति बनाने, नारी शक्ति की परिभाषा समझाने।
“आज तुमसे बिछड़े बीत गया एक युग, पर आप मेरे अस्तित्व में हैं समाहित ।
मेरी प्रत्येक रचना में है आपकी छवि करती जो नित्य मेरा मन मुदित।
मेरी लेखनी का सम्मान तुम्ही हो माँ!!
नहीं हो इस संसार मे तो क्या
मेरे ह्रदय में सदैव बसी रहोगी माँ!!
अनन्त शून्य परमेश्वर के समीप पहुंचकर भी , हर्षित हो मेरी हर कृति में उपस्थित, आशीषों की
झड़ी लगाती रहती हो माँ!!,
मेरी हर सफलता, हर उपलब्धि में
साथ साथ तुम भी गुनगुनाती हो माँ!!!
साथ साथ तुम भी गुनगुनाती हो माँ!!!
✍️ नवनीता दुबे “नूपुर”✍️
मण्डला मप्र 🌹