कभी-कभी सोचा हुआ पूरा नहीं हो पाता पर कहते हैं न जो होता है अच्छा होता है।
हुआ यूँ कि हिन्दी दिवस के लिए रचनाएँ आमंत्रित किये 2 दिन ही हुए थे कि मेरी बड़ी सासु मां का देहांत हो गया। कुछ दिन काम में मन ही नहीं लगा। इस बीच रक्षाबंधन कब आया और चला गया पता ही नहीं चला। इसी बीच मेरा पंचकर्म का ट्रीटमेंट भी चालू था। 3 सितंबर से पर्युषण शुरु हो रहे थे इसलिए 1 ता. को डॉ. चाची के साथ मैं, समकित और तन्मय गुरुदेव के दर्शन करके आए और अगले ही दिन यानि 2 ता. को जयति-जैनम-भव्य पर्युषण पर्व की आराधना के लिए 8 दिन के लिए गुरुदेव के पास यानि नमिउँण पार्श्व तीर्थ चले गए।
दो दिन बाद तीनों बच्चों की खबर आई कि हम अठाई कर रहे तो यहाँ भी भवि और तन्मय ने निराहार उपवास शुरु कर दिए। फिर क्या था पाँचो बच्चों ने एक साथ तपस्या कर ली। घर मे त्योहार सा माहौल हो गया।
20 ता. कैसे निकल गई पता ही नहीं चला। सभी के मैसेज पढ़े लेकिन जवाब दे पाने में असमर्थ थी जिसके लिए करबद्ध क्षमायाचना। आज सभी को देर का कारण भी बता रही हूँ तो मन की उथल-पुथल कुछ कम हुई।
पर सच्ची आई स्वेर मैं देर करती नहीं, देर हो जाती है
अब हुआ ये कि भाभी माँ की लाडली विधि ने 31 दिन के निराहार तप यानि मासक्षमण किया है जिसका अभिनंदन समारोह 2 अक्टूबर को होना तय हुआ है। 26 को आयोजन का मन नहीं था क्योंकि अदिति भाभी सपरिवार बाहर गई हुई हैं उनसे क्षमा सहित उनकी अनुपस्थिति में विमोचन एवं सम्मान का आयोजन अन्तरा शब्दशक्ति परिवार के सभी स्थानीय सदस्यों के साथ रहेगा। जिसका सीधा प्रसारण अन्तरा शब्दशक्ति के पेज से 26/09/2021 दोपहर दो बजे होगा।
तो कल मुझे पटल पर आप सभी का इंतज़ार रहेगा। सभी रचनाकारों को अग्रिम बधाई।
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