दिखावे की ओर

बढ़ रहा था दिखावे की ओर शान ओ शौकत का मचा था शोर किसी का भी न चलता था ज़ोर आज घरों में वो बन्द हो गया प्रकृति का किया है शोषण कष्ट दिया नदियों को हरदम हर जानवर का किया है भक्षण आज मुख्य भोजन घरों में कन्द हो गया। पबों , नाइट क्लबों…