चिन्तन
चाहे अल्पावधि के लिए ही सही, स्वनिवास, अन्तर्मन में, पारदर्शी, नि:संदेह, सदैव ही था, अनायास, केंद्रित करने पर, अनुपम, अनुभूति, आनन्ददायी, निर्गुण, निर्मल। यूँ ही नहीं, कह गए, ॠषि मुनि, *तपस्या* की, महत्ता। विवेकपूर्ण व्यवहार, दानशीलता, विनयशीलता, संयम और स्वांकुश, अल्पाहार, मौनव्रत, स्वावलम्बन, उपासना, सरल हैं, किन्तु कठिन हैं, क्योंकि, यही तप है, योग है।…