डॉ. प्रीति सुराना

हर रोज एक नया विचार मेरे मन की देहरी पर राह तकता है
कोई सोचे,कोई समझे,कोई सुने,कोई गुने,.. उसे ये लगता है
मैं चाहती हूं हर बार कि लाकर रख दूं सबके सामने उसको,
क्या आप सहमत हैं “विचारों को अभिव्यक्ति की आवश्यकता है”,….???

जबसे होश सम्भाला है तब से एक आदत सी बन गई है अपने मन की डायरी के पन्नों पर लिखती रही हूं मैं अपनी सोच,अपना नजरिया,अपने अनुभव,अपनी अच्छी-बुरी यादें अपनी गल्तियां,…सब कुछ,.. क्यूंकि शायद आत्मविश्वास की कमी के कारण मुझे अभिव्यक्त करने में हमेशा संकोच रहा,.. यही वो वजह भी है कि मैं कुछ भी कहने के पहले कहती हूं,.. मुझे लगता है,… या,.. मैं ऐसा सोचती हूं,…. या,.. शायद,… या,.. अकसर…. क्योंकि मैं अपना नजरिया किसी पर थोपने या लादने की पक्षधर नही हूं,…! जब से सोशल मीडिया से जुड़ी हूं मैंने एक बात महसूस की है सुबह उठते ही सुप्रभात के साथ सुविचारों का सिलसिला शुरु होता है साथ ही शुरु होता है कुछ खबरों और कुछ चुटकुलों के साथ कुछ गन्दे और भद्दे संवादों का सिलसिला,..

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हमारा अनुभव

अन्तरा शब्दशक्ति प्रकाशन के माध्य से साझा संकलन, स्मारिकाएँ, समीक्षाएं आदि भी प्रकाशित करवाकर प्रतिभाओं को सामने लाने का सतत प्रयास जारी है। साझा संकलनों, लघु पुस्तिकाओं और पुस्तकों का प्रकाशन भी किया जाता है। 25 मार्च 2018 को प्रकाशन पंजीकृत हुआ तब से अब तक 230 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी है।

उपरोक्त सभी अवसर रचनाकार को सार्थक प्रयासों से अवश्य उपलब्ध हो सकते हैं।
सार बातों का कहूँ तो सार बस इतना सा है,
गद्य हो या काव्य रसगंध लगे भीना सा है,
अभिव्यक्ति का सुदृढ़ माध्यम विचारों के लेखन में है,
आय, अवसर, विकास हेतु लेखन विस्तृत नभ सा है।

बड़े बुजुर्गों कि एक सोच हुआ करती है कि किराये के बड़े से मकान के कुछ कमरे किराए पर लेकर रहने से बेहतर है अपनी खुद की छोटी सी कुटिया हो। समय बदलेगा, सामर्थ्य बढ़ेगा तो अपनी कुटिया को सपनों का महल बनाना आसान होगा।

लेखन और आय के स्रोत

लेखक निम्नलिखित कार्यों से आय प्राप्त कर सकता है।
*पुस्तकों लेखन एवं विक्रय करके।
*पत्रकारिता करके।
*अनुवाद करके।
*पाठशोधन करके।
*ग्रंथकार बनकर।
*ग्रंथालय अभिक्षक का कार्य करके।
*समाचार लेखन एवं वाचन द्वारा।
*शिक्षण व प्रशिक्षण कार्य द्वारा।
*शासकीय कार्यों में टंकण कार्य करके।
*ऑनलाइन टंकण और अनुवाद के कार्य करके।
*प्रकाशन एवं संपादन का कार्य करके।
*सोशल मीडिया के पूर्ण ज्ञान न होने के कारणों से जो रचनाकार अपनी रचनाएँ टंकित नहीं कर पाते उनके लिए टंकण कार्य करके।
*वेबसाइट हेतु विषय सामग्री संकलन और प्रेषण करके।

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